शरीराष्टक
शरीराष्टक -शार्दूलविक्रीडित- दुर्गंधाशुचिधातुभित्तिकलितं संछादितं चर्मणा विण्मूत्रादिभृतं क्षुधादिविलसद्दु:खाखुभिश्छिद्रितम्। क्लिष्टं कायकुटीरकं स्वयमपि प्राप्तं जरावह्निना चेदेतत्तदपि स्थिरं शुचितरं मूढो जनो मन्यते।।१।। अर्थ —यह शरीररूपी झोंपड़ा दुर्गंध तथा अपवित्र वीर्य आदि धातुरूपी भीतों से बना हुआ है और चाम से ढका हुआ है तथा विष्टा-मूत्र आदि से भी भरा हुआ है और इसमें क्षुधा आदिक बलवान दु:खरूपी चूहों ने…