शिक्षास्पद कहानियाँ
शिक्षास्पद कहानियाँ जुआ खेलकर भी क्या लखपति बना जा सकता है ? रमेश-अरे वाह, सुरेश! आज तो मजा आ गया। मेरी बाजी फिट बैठ गई और देखते ही देखते मैं पांच सौ रूपये जीत गया। सुरेश-रमेश! जिसे तुम जीत समझते हो, वह तुम्हारी बहुत बड़ी हार है। तुमने भ्रान्ति के कारण उसे जीत समझ रखा…