लवण समुद्र के छठे भाग की परिधि
लवण समुद्र के छठे भाग की परिधि लवण समुद्र के छठे भाग की परिधि का प्रमाण ५२७०४६ योजन (२१२८१८४००० मील) है।
लवण समुद्र के छठे भाग की परिधि लवण समुद्र के छठे भाग की परिधि का प्रमाण ५२७०४६ योजन (२१२८१८४००० मील) है।
सूर्य के ताप का चारों तरफ पैâलने का क्रम सूर्य का ताप मेरू पर्वत के मध्य भाग से लेकर लवण समुद्र के छठे भाग तक पैâलता है। अर्थात्—लवण समुद्र का विस्तार २००००० योजन है उसमें ६ का भाग देकर १ लाख योजन जम्बूद्वीप का आधा ५०००० मिलाने से · ८३३३३ योजन (३३३३३३३३३ मील) तक प्रकाश…
अधिक दिन एवं मास का क्रम जब सूर्य एक पथ से दूसरे पथ में प्रवेश करता है तब मध्य के अन्तराल २ योजन (८००० मील) को पार करते हुये ही जाता है। अतएव इस निमित्त से १ दिन में १ मुहूर्त की वृद्धि होने से १ मास में ३० मुहूर्त (१ अहोरात्र) की वृद्धि होती…
एक मिनट में सूर्य का गमन एक मिनट में सूर्य की गति ४४७६२३ मील प्रमाण है। अर्थात् १ मुहूर्त की गति में ४८ मिनट का भाग देने से १ मिनट की गति का प्रमाण आता है। यथा—२१२२०९३३ ´ ४८ · ४४७६२३ योजन।
एक मुहूर्त में सूर्य के गमन का प्रमाण जब सूर्य प्रथम गली में रहता है तब एक मुहूर्त में ५२५१योजन (२१००५९४३३ मील) गमन करता है। अर्थात्—प्रथम गली की परिधि का प्रमाण ३१५०८९ योजन है। उनमें ६० मुहूर्त का भाग देने से उपर्युक्त संख्या आती है क्योंकि २ सूर्यों के द्वारा ३० मुहूर्त में १ परिधि…
दक्षिणायन एवं उत्तरायण श्रावण कृष्णा प्रतिपदा के दिन जब सूर्य अभ्यंतर मार्ग (गली) में रहता है, तब दक्षिणायन का प्रारम्भ होता है एवं जब १८४वीं (अंतिम गली) में पहुँचता है तब उत्तरायण का प्रारम्भ होता है। अतएव ६ महीने में दक्षिणायन एवं ६ महीने में उत्तरायण होता है। जब दोनों ही सूर्य अंतिम गली में…
छोटे-बड़े दिन होने का विशेष स्पष्टीकरण श्रावण मास में जब सूर्य पहली गली में रहता है। उस समय दिन १८ मुहूर्त१ (१४ घंटे २४ मिनट) का एवं रात्रि १२ मुहूर्त (९ घंटे ३६ मिनट) की होती है। पुन: दिन घटने का क्रम— जब सूर्य प्रथम गली का परिभ्रमण पूर्ण करके दो योजन प्रमाण अंतराल के…
दिन रात्रि के विभाग का क्रम प्रथम गली में सूर्य के रहने पर उस गली की परिधि (३१५०८९ योजन) के १० भाग कीजिये। एक-एक गली में २-२ सूर्य भ्रमण करते हैं। अत: एक सूर्य के गमन सम्बन्धी ५ भाग हुये। उन ५ भागों में से २ भागों में अंधकार (रात्रि) एवं ३ भागों में प्रकाश…
सूर्य की अभ्यंतर गली की परिधि का प्रमाण अभ्यन्तर (प्रथम) गली की परिधि१ का प्रमाण ३१५०८९ योजन (१२६०३५६००० मील) है। इस परिधि का चक्कर (भ्रमण) २ सूर्य १ दिन-रात में लगाते हैं। अर्थात् जब १ सूर्य भरत क्षेत्र में रहता है तब दूसरा सूर्य ठीक सामने ऐरावत क्षेत्र में रहता है। जब १ सूर्य पूर्व…
दोनों सूर्यों का आपस में अंतराल का प्रमाण जब दोनों सूर्य अभ्यंतर गली में रहते हैं तब आमने-सामने रहने से पहले सूर्य से दूसरे सूर्य का आपस में अन्तर ९९६४० योजन (३९८४६०००० मील) का रहता है एवं प्रथम गली में स्थित सूर्य का मेरू से अन्तर ४४८२० योजन (१७९२८०००० मील) का रहता है। अर्थात् १…