अकलंक-निकलंक का कथानक
अकलंक-निकलंक का कथानक जिस भारत की पावन वसुधा पर तीर्थंकर तप करते हैं। अध्यात्म प्रभा में रत मुनि भारत नाम को सार्थक करते हैं।। चक्रीश भरत के नाम से जिसका नाम प्रसिद्ध हुआ जग में। उस पावन भू को नमन करें जिसका पवित्र कण-कण सच में।।१।। शासननायक महावीर प्रभू गौतम गणधर को वन्दन है। श्रीकुंदकुंद…