उत्तम आर्जव धर्म का भजन
उत्तम आर्जव धर्म का भजन तर्ज-दिन रात मेरे स्वामी………. हे नाथ! आपसे मैं, वरदान एक चाहूूँ। वरदान…….. ऋजुता हृदय में लाकर, आर्जव धरम निभाऊँ। आर्जव….. ना जाने क्यों कुटिलता का भाव आ ही जाता। हे प्रभु! उसे हटा कर समता का भाव लाऊँ।। समता का…।।१।। माया में फंसके मैंने मानव जनम गंवाया। अनमोल इस रतन…