गतियों से आने जाने के द्वार क्लास
गतियों से आने जाने के द्वार क्लास (आर्यिका चंदनामति माता जी द्वारा)
गतियों से आने जाने के द्वार क्लास (आर्यिका चंदनामति माता जी द्वारा)
मंगलाचरण णमो अरिहंताणं, णमो सिद्धाणं णमो आइरियाणं। णमो उवज्झायाणं, णमो लोए सव्वसाहूणं।। श्रीमत्पवित्रमकलंकमनन्तकल्पं, स्वायंभुवं सकलमंगलमादितीर्थम्। नित्योत्सवं मणिमयं निलयं जिनानां, त्रैलोक्यभूषणमहं शरणं प्रपद्ये।।१।। श्रीमत्परमगंभीर – स्याद्वादामोघलाञ्छनं। जीयात्त्रैलोक्यनाथस्य शासनं जिनशासनम्।।२।। श्रीमुखालोकनादेव, श्रीमुखालोकनं भवेत्। आलोकनविहीनस्य, तत्सुखावाप्तय: कुत:।।३।। अद्याभवत्सफलता नयनद्वयस्य, देव! त्वदीय चरणाम्बुजवीक्षणेन। अद्य त्रिलोकतिलक! प्रतिभासते मे, संसारवारिधिरयं चुलुकप्रमाणम्।।४।। अद्य मे क्षालितं गात्रं, नेत्रे च विमलीकृते। स्नातोऽहं धर्मतीर्थेषु, जिनेन्द्र!…
विश्व के प्रथम राजाधिराज भगवान ऋषभदेव 1. मंगलाचरण-अनादिनिधन णमोकार महामंत्र 2. मंगल काव्य 3. वंदना, अयोध्या तीर्थ वंदना 4. अयोध्या शाश्वत तीर्थ की महिमा 5. असंख्यातों मोक्षगामी महापुरुषों की जन्मभूमि अयोध्या 6. श्री तीर्थंकर ऋषभदेव विश्वशांति अिंहसा केन्द्र 7. विश्व के प्रथम राजाधिराज भगवान ऋषभदेव (आदिपुराण ग्रंथ से) 8. इक्ष्वाकुवंशीय चौदह लाख राजा लगातार मोक्ष…
भजन….. -आर्यिका चन्दनामती तर्ज—प्रभु नेमि बता जाना……. प्रभु ऋषभ जहाँ जनमें, खेले जहाँ बचपन में, मरुदेवी के आंगन में, वह नगरि अयोध्या है।।१।। जहाँ राज्य किया प्रभु ने, जहाँ त्याग किया प्रभु ने, चले तप करने वन में, वह नगरि अयोध्या है।।२।। श्री भरत जहाँ जनमें, चक्रीश प्रथम बन के, यशस्वति माता से, वह नगरि…
भगवान महावीर २५५० वाँ निर्वाण कल्याणक महोत्सव वर्ष कार्तिक कृष्णा अमावस्या, दीपावली पर्व, १३ नवम्बर २०२३ को शाश्वत जन्मभूमि अयोध्या स्थित बड़ी मूर्ति, रायगंज परिसर में पूज्य गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी की मंगल प्रेरणा से अखण्ड दीप प्रज्ज्वलित करके भगवान महावीर स्वामी के २५५०वें निर्वाणकल्याणक महोत्सव वर्ष का शुभारंभ किया गया। पुन: राजधानी दिल्ली में…
बीसवीं सदी के प्रथमाचार्य चारित्रचक्रवर्ती आचार्यश्री शांतिसागर जी महाराज आचार्य पदारोहण शताब्दी वर्ष, २०२३-२०२४ वर्ष शुभारंभ तिथि-आश्विन शुक्ला दशमी-विजयादशमी, दिनाँक-२४ अक्टूबर २०२३बंधुओं! हम सभी को विदित है कि बीसवीं-इक्कीसवीं शताब्दी के सर्वप्रथम दिगम्बर जैनाचार्य चारित्रचक्रवर्ती आचार्यश्री शांतिसागर जी महाराज हुए हैं, जिन्होंने मूलाचार आगम के अनुरूप साधुओं की जीवनचर्या का स्वत: अनुपालन करके शिथिल होती…
प्रशस्ति -दोहा- ऋषभदेव को नित नमूँ, नमूँ अयोध्या तीर्थ। हुए अनंतानंत ही, तीर्थंकर मुनिकीर्त्य।।१।। चौबीसहवें तीर्थकर, महावीर भगवंत। नमूँ अनंतों बार मैं, पाऊँ सौख्य अनंत।।२।। द्वादशांगी वाणी नमूँ, सरस्वती मुनिवंद्य। गौतम गणधर गुरु नमूँ, नमूँ साधु निर्ग्रंथ।।३।। कुंदकुंद आम्नाय में, गच्छ सरस्वती मान्य। बलात्कारगण सिद्ध है, उनमें सूरि प्रधान।।४।। सदी बीसवीं के प्रथम, शांतिसागराचार्य। उनके…
श्री ऋषभदेव स्तुति (हिन्दी काव्य) हे आदिनाथ! हे आदीश्वर! हे ऋषभ जिनेश्वर! नाभिललन! पुरुदेव! युगादि पुरुष ! ब्रह्मा, विधि और विधाता मुक्तिकरण।। मैं अगणित बार नमूँ तुमको, वन्दूँ ध्याउँâ गुणगान करूँ। स्वात्मैक परम आनन्दमयी, सुज्ञान सुधा का पान करूँ।।१।। आषाढ़ वदी दुतिया तिथि थी, मरूदेवी गर्भ पधारे थे। श्री हृी धृति आदि देवियों ने, माता…
श्री ऋषभदेव स्तुति: (सप्तविभक्ति समन्वित) -अनुष्टुप् छंद:- प्रभु: ऋषभदेवस्त्वं, जगत्सृष्टा जगद्गुरू:। ऋषभदेवमानौमि, सर्वसिद्धिप्रदायकम्।।१।। हत: ऋषभदेवेन, स्वकर्मनिचय: स्वयं। नम: ऋषभदेवाय, धर्मतीर्थप्रवर्तिने।।२।। तीर्थं ऋषभदेवाद् हि, स्वर्गमोक्षविधायकम्। धर्म: ऋषभदेवस्य, साधुगृहि-द्विभेदत:।।३।। भक्तिं ऋषभदेवेऽहं, करोमि सर्वसौख्यदाम्। ऋषभदेव! मां रक्ष, निमज्जंतं भवाम्बुधौ।।४।।
श्री ऋषभदेव के पुत्र ‘भरत’ से ‘भारत’ अंसावलंबिना ब्रह्मसूत्रेणासौ दधे श्रियम्। हिमाद्रिरिव गांङ्गेन स्रोतसोत्संगसंगिनाम्।।१९८।। (महापुराण पर्व १५) तन्नाम्ना भारतं वर्षमिति हासीज्जनास्पदं। हिमाद्रेरासमुद्राच्च क्षेत्रं चक्रभृतामिदं।।१५९।। (महापुराण पर्व १५) यही बात महापुराण में वर्णित है-‘‘कंधे पर लटकते हुये ‘यज्ञोपवीत’ से वे भरत सुशोभित हो रहे थे।’’ इन भरत के नाम से ही यह देश ‘भारत’ इस नाम…