निश्चय परमावश्यक अधिकार
निश्चय परमावश्यक अधिकार मंदाक्रांता-आत्मन्युच्चैर्भवति नियतं सच्चिदानंदमूर्तौ धर्म: साक्षात् स्ववशजनितावश्यकर्मात्मकोऽयम्। सोऽयं कर्मक्षयकरपटुर्निर्वृतेरेकमार्ग: तेनैवाहं किमपि तरसा यामि शं निर्विकल्पम्।।२३८।। अर्थ-स्ववश में होने से उत्पन्न हुआ आवश्यक क्रियास्वरूप यह धर्म साक्षात् नियम से सच्चिदानंद मूर्ति स्वरूप आत्मा में अतिशय रूप से होता है। सो यह धर्म कर्मों का क्षय करने में कुशल है और निर्वाण का एक मार्ग…