एकत्वाधिकार का वर्णन
एकत्वाधिकार का वर्णन -अनुष्टुप्- चिदानन्दैकसद्भावं परमात्मानमव्ययम्। प्रणमामि सदा शान्तं शान्तये सर्वकर्मणाम्।।१।।] अर्थ—चैतन्यस्वरूप आनन्दस्वरूप अविनाशी और शान्त ऐसे परमात्मा को सर्वकार्यों की शान्ति के लिए मैं नमस्कार करता हूँ। भावार्थ—जो परमात्मा चैतन्यस्वरूप है तथा आनन्दस्वरूप है और नित्य, शाश्वत तथा समस्त क्रोधादिकर्मोंे से रहित है ऐसा परमात्मा मुझे इस एकत्व नामक अधिकार के वर्णन करने में…