मंगल काव्य
मंगल काव्य मंगलं भगवानर्हन्, मंगलं वृषभेश्वर:। मंगलं सर्वतीर्थेशा, जैन धर्मोऽस्तु मंगलम्।।१।। मंगलं भगवान् वीरो, मंगलं गौतमो गणी। मंगलं कुंदकुंदाद्या, जैनधर्मोऽस्तु मंगलम्।।२।।
मंगल काव्य मंगलं भगवानर्हन्, मंगलं वृषभेश्वर:। मंगलं सर्वतीर्थेशा, जैन धर्मोऽस्तु मंगलम्।।१।। मंगलं भगवान् वीरो, मंगलं गौतमो गणी। मंगलं कुंदकुंदाद्या, जैनधर्मोऽस्तु मंगलम्।।२।।
मंगलाचरण अनादिनिधन णमोकार महामंत्र णमो अरिहंताणं, णमो सिद्धाणं, णमो आइरियाणं। णमो उवज्झायाणं, णमो लोए सव्व साहूणं।। चत्तारि मंगलं-अरिहंत मंगलं, सिद्ध मंगलं, साहु मंगलं, केवलि पण्णत्तो धम्मो मंगलं। चत्तारि लोगुत्तमा-अरिहंत लोगुत्तमा, सिद्ध लोगुत्तमा, साहु लोगुत्तमा, केवलिपण्णत्तो धम्मो लोगुत्तमा। चत्तारि सरणं पव्वज्जामि-अरिहंत सरणं पव्वज्जामि, सिद्ध सरणं पव्वज्जामि, साहु सरणं पव्वज्जामि, केवलि पण्णत्तो धम्मो सरणं पव्वज्जामि।
चौबीस तीर्थंकर चालीसा (सारिका बहनजी) श्री ऋषभदेव चालीसा श्री अजितनाथ चालीसा श्री संभवनाथ चालीसा श्री अभिनन्दननाथ चालीसा श्री सुमतिनाथ चालीसा श्री पद्मप्रभु चालीसा श्री सुपार्श्वनाथ चालीसा श्री चन्द्रप्रभु चालीसा श्री पुष्पदन्तनाथ चालीसा श्री शीतलनाथ चालीसा श्री श्रेयांसनाथ चालीसा श्री वासुपूज्यनाथ चालीसा श्री विमलनाथ चालीसा श्री अनन्तनाथ चालीसा श्री धर्मनाथ चालीसा श्री शांतिनाथ चालीसा श्री कुंथुनाथ…
श्री महावीर चालीसा -दोहा- इस युग के अंतिम प्रभू, महावीर भगवान। वर्तमान में चल रहा, जिनका शासनकाल।।१।। उनके ही गुणगान में, यह चालीसा पाठ। पढ़ने से सुख प्राप्त हो, यही हृदय में भाव।।२।। -चौपाई- वीरप्रभू चौबिसवें जिनवर, सर्वशान्तिकर सर्वहितंकर।।१।। वर्तमान की चौबीसी के, अन्तिम तीर्थंकर बन जन्मे।।२।। कुण्डलपुर में जन्म लिया था, पुण्य खिला पितु…
श्री पार्श्वनाथ चालीसा -दोहा- तेईसवें जिननाथ हैं, पार्श्वनाथ भगवान। चिंतामणि हो नाथ तुम, चिंतित फल दातार।।१।। क्षमा-धैर्य अरु सहिष्णुता की मूर्ती भगवान। इनके चरणों में करूँ, शत-शत बार प्रणाम।।२।। -चौपाई- इक है काशी देश मनोहर, जिसकी सुन्दरता है चितहर।।१।। उसमें नगरि बनारस प्यारी, उस धरती को ढोंक हमारी।।२।। वहाँ थे अश्वसेन महाराजा, धर्मनिष्ठ थे वे…
श्री नेमिनाथ चालीसा -दोहा- नेमिनाथ भगवान ने, लिया जहाँ अवतार। उस शौरीपुर तीर्थ को, वन्दन बारम्बार।।१।। बाइसवें तीर्थेश के, चालीसा का पाठ। पढ़ने से हो जाएगा, तुमको भी वैराग।।२।। -चौपाई- नेमिनाथ भगवान हमारे, सब भक्तों के पालनहारे।।१।। श्री समुद्रविजय महाराजा, शौरीपुर के थे अधिराजा।।२।। उनकी रानी शिवादेवि थीं, वो साधारण जननी नहिं थीं।।३।। वे थीं…
श्री नमिनाथ चालीसा -दोहा- तीर्थंकर नमिनाथ हैं, इक्किसवें तीर्थेश। इनके चरणों में नमूँ, श्रद्धा-भक्ति समेत।।१।। -चौपाई- नमि जिनवर हैं दया के सागर, वंदन से हो ज्ञान उजागर।।१।। इन प्रभु की महिमा अति न्यारी, दर्शन से नशते अघ भारी।।२।। प्रभु तुम तीनलोक के स्वामी, कहलाते हो अन्तर्यामी।।३।। फिर भी तुममें मान नहीं है, पदवी का अभिमान…
श्री मुनिसुव्रतनाथ चालीसा -दोहा- श्रीमुनिसुव्रतनाथ का, यह चालीसा पाठ। पढ़ लेवें जो भव्यजन, शनिग्रह होवें शांत।।१।। -चौपाई- मुनिसुव्रत जी सुव्रतदाता, भक्तों को सन्मार्ग प्रदाता।।१।। नमन करूँ मैं तुमको प्रभु जी, करना सब कार्यों की सिद्धी।।२।। राजगृही नगरी अति प्यारी, सुखी वहाँ की जनता सारी।।३।। वहाँ के महाराजा सुमित्र थे, शिरोमणी वे हरीवंश के।।४।। उनकी महारानी…
श्री मल्लिनाथ चालीसा -दोहा- शान्ति-कुंथु-अरनाथ को, वंदन शत-शत बार। पुन: मल्लिजिनराज के, चरणनि करूँ प्रणाम।।१।। काम-मोह-यममल्ल के, जेता आप प्रसिद्ध। इसीलिए तुम चरण में, नमस्कार है नित्य।।२।। -चौपाई- जय प्रभु मल्लिनाथ की जय हो, मेरे दुष्कर्मों का क्षय हो।।१।। भरतक्षेत्र में बंग देश है, उसमें इक मिथिलानगरी है।।२।। वहाँ कुंभ नामक महाराजा, महाभाग्यशाली थे राजा।।३।।…
श्री अरहनाथ चालीसा -दोहा- अरहनाथ भगवान हैं, तीनलोक के नाथ। ध्यानचक्र से मृत्यु को, किया पराजित आप।१।। इनके ही गुणगान में, यह चालीसा पाठ। लिखने की इच्छा हुई, कृपा करो श्रुतमात।।२।। -चौपाई- अरहनाथ तीर्थंकर तुमने, अरि को नष्ट किया तप बल से।।१।। अरि कहते हैं कर्मशत्रु को, प्रभु ने नाशा सब कर्मों को।।२।। हस्तिनागपुर नगरी…