श्री सुपार्श्वनाथ चालीसा
श्री सुपार्श्वनाथ चालीसा -दोहा- चार घातिया कर्म को, नाश बने अरिहंत। अष्टकर्म को नष्टकर, बने सिद्ध भगवंत।।१।। -चौपाई- श्री सुपार्श्व के चरण कमल को, अपने मनमंदिर में रखके।।१।। कुछ क्षण ध्यान करें यदि प्रियवर! शान्ति मिलेगी अद्भुत अनुपम।।२।। प्रभु तुम हो सप्तम तीर्थंकर, स्वस्तिक चिन्ह सहित हो प्रभुवर।।३।। तुम हो हरित वर्ण के धारी, राग-द्वेष…