उत्तम आकिंचन्य धर्म का भजन
उत्तम आकिंचन्य धर्म का भजन तर्ज-तुमसे लागी लगन……… धर अकिंचन धरम, कर ले तू शुभ करम, भव्य प्राणी, धन्य होगी तेरी जिन्दगानी।। ना मे किंचन अकिंचन धरम है, पर को निज मानना ही भरम है। तज दे मिथ्या भरम, पालते दश धरम, भव्य प्राणी। धन्य होगी तेरी जिन्दगानी।।१।। पांच पापों में परिग्रह भी इक है,…