एकत्वभावना
एकत्वभावना -अनुष्टुप्- स्वानुभूत्यैव यद्गम्यं रम्यं यच्चात्मवेदिनाम्। जल्पे तत्परमज्योतिरवाङ्मानसगोचरम्।।१।। अर्थ —जो परम तेज स्वानुभव से ही जाना जाता है और जो पुरुष आत्मस्वरूप के जानने वाले हैं, उनको मनोहर मालूम पड़ता है और जो तेज न वचन के गोचर है और न मन का विषयभूत है, उस परमतेज का मैं वर्णन करता हूँ। भावार्थ —परमज्योति से…