ब्रह्मचर्यरक्षावर्ती
ब्रह्मचर्यरक्षावर्ती -शार्दूलविक्रीडित- भ्रूक्षेपेण जयंति ये रिपुकुलं लोकाधिपा: केचन द्राक्तेषामपि येन वक्षसि दृढं रोप: समारोपित:। सोऽपि प्रोद्गतविक्रमस्मरभट: शान्तात्मभिर्लीलया यै: शस्त्रग्र२३२हवर्जितैरपि जित: स्तेभ्यो यतिभ्यो नम:।।१।। अर्थ —संसार में कई एक ऐसे भी राजा हैं जो कि अपनी भ्रुकुटी के विक्षेप मात्र से ही वैरियों के समूह को जीत लेते हैं उन राजाओं के भी हृदय में शीघ्र…