निश्चय प्रत्याख्यान अधिकार
निश्चय प्रत्याख्यान अधिकार मंदाक्रांता-सम्यग्दृष्टिस्त्यजति सकलं कर्मनोकर्मजातं प्रत्याख्यानं भवति नियतं तस्य संज्ञानमूर्ते:। सच्चारित्राण्यघकुलहराण्यस्य तानि स्युरुच्चै: तं वंदेऽहं भवपरिभवक्लेशनाशाय नित्यम्।।१२७।। अर्थ-जो सम्यग्दृष्टि सम्पूर्ण कर्म और नोकर्म के समूह को छोड़ देता है उस सम्यग्ज्ञान की मूर्तिस्वरूप साधु के निश्चित ही प्रत्याख्यान होता है और उसके ही पाप समूह को नष्ट करने वाले ऐसे सम्यक््âचारित्र भी अतिशय रूप…