मंगलाचरण एवं भूमिका
मंगलाचरण एवं भूमिका -गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी मंगलं भगवानर्हन्, मंगल वृषभेश्वर:। मंगलं सर्वतीर्थेशा, जैनधर्मोऽस्तु मंगलम्।।१।। मंगलं भगवान वीरो, मंगलं गौतमो गणी। मंगलं कुंदकुंदाद्या, जैनधर्मोऽस्तु मंगलम्।।२।। नम: ऋषभदेवाय, धर्मतीर्थ प्रवर्तिने। सर्वा विद्या: कला यस्मा-दाविर्भूता महीतले।।३।। तीर्थंकर त्रय काल के, कहे अनंतानंत। तिन्हें अनंत नमोऽस्तु कर, पाऊं सौख्य अनंत।।४।। द्वादशांगवाणी विमल, त्रैकालिक आनन्त्य। तिन्हें अनंत नमोऽस्तु कर,…