तीर्थंकर जन्मभूमि तीर्थ पूजा
तीर्थंकर जन्मभूमि तीर्थ पूजा तीर्थंकर जन्मभूमि वंदना तीर्थंकर जन्मभूमि तीर्थ वंदना Prayer of Tirthankaras’ Birthplaces भजन आरती
तीर्थंकर जन्मभूमि तीर्थ पूजा तीर्थंकर जन्मभूमि वंदना तीर्थंकर जन्मभूमि तीर्थ वंदना Prayer of Tirthankaras’ Birthplaces भजन आरती
“…तीर्थंकर जन्मभूमि तीर्थ पूजा…” स्थापना (चौबोल छन्द) तीर्थंकर श्री ऋषभदेव से, महावीर तक करूँ नमन। चौबीसों जिनवर की पावन, जन्मभूमियों को वन्दन।। जैनी संस्कृति के दिग्दर्शक, इन तीर्थों का करूँ यजन। मेरी आत्मा बने अजन्मा, जन्मभूमि का कर पूजन।।१।। -दोहा- आह्वानन स्थापना, सन्निधिकरण प्रधान। पूजन के प्रारंभ में, है यह विधि महान।।२।। ॐ ह्रीं ऋषभादिवर्धमानान्तचतुर्विंशतितीर्थंकराणां…
आरती….. आरति करो रे, चौबिस तीर्थंकर जन्मभूमि की आरति करो रे।। आरति करो, आरति करो, आरति करो रे। चौबिस तीर्थंकर जन्मभूमि की, आरति करो रे।।टेक.।। शाश्वत जन्मभूमि जिनवर की, नगरि अयोध्या मानी है। पर हुण्डावसर्पिणी युग की, बदली पुण्य कहानी है।। आरति करो, आरति करो, आरति करो रे, सब तीर्थंकर की पुण्यभूमि की, आरति करो…
भजन तर्ज-चलो मिल सब…………….. चलो सब मिल यात्रा कर लो, तीर्थयात्रा का फल वर लो। चौबिस तीर्थंकर की सोलह, जन्मभूमि नम लो।। चलो.।। ऋषभ अजित अभिनंदन सुमती अरु अनंत जिनवर। नगरि अयोध्या में जन्मे जो तीरथ है शाश्वत।। अयोध्या को वंदन कर लो, ऋषभदेव की जन्मभूमि का रूप नया लख लो।। चलो.।।१।। श्रावस्ती में संभव…
Prayer of Tirthankaras’ Birthplaces Tune-Tumhi Ho Mata, Pita Tumhi Ho……. Holy Ayodhya is first birthplace, Where born Rishabh Ajit Abhinandannath. Sumatinath Anantnath also born there, So I bow to Pilgrimage Ayodhya. (1) Second birthplace is Shravasti, Where was born Sambhavnath Jinvar. Crore of crores Jewels were rained there, So I bow to Pilgrimage Shravasti. (2)…
“तीर्थंकर जन्मभूमि तीर्थ वंदना” -शेर छन्द- जय जय जिनेन्द्र जन्मभूमियाँ प्रधान हैं। जय जय जिनेन्द्र धर्म की महिमा महान है।। जय जय सुरेन्द्रवंद्य ये धरा पवित्र हैं। जय जय नरेन्द्र वंद्य ये तीरथ प्रसिद्ध हैं।।१।। मिश्री से जैसे अन्न में मिठास आती है। वैसे ही पवित्रात्मा तीरथ बनाती हैं।। हो गर्भ जन्म दीक्षा व ज्ञान…
“…तीर्थंकर जन्मभूमि वंदना…” (मंगलचतुर्विंशतिका) रचयित्री-गणिनी ज्ञानमती (अनुष्टुप् छंद) अयोध्या मंगलं कुर्या-दनन्ततीर्थकर्र्तृणाम्। शाश्वती जन्मभूमिर्या, प्रसिद्धा साधुभिर्नुता।।१।। ऋषभोऽजिततीर्थेशोऽप्यभिनंदनतीर्थकृत्। श्रीमान् सुमतिनाथश्चा-नन्तनाथजिनेश्वर:।।२।। पंचतीर्थकृतां गर्भ-जन्मकल्याणकादिषु। इन्द्रादिभि: सदा वंद्या, वंद्यते वंदयिष्यते।।३।। संप्रति कालदोषेण, शेषास्तीर्थंकराः पृथक्। संजातास्ता अपिजन्म-भूमयो मंगलं भुवि।।४।। श्रावस्ती मंगलं कुर्यात्, संभवनाथजन्मभू:। तनुतान्मे मन:शुद्धिं, भव्यानां भवहारिणी।।५।। कौशाम्बी मंगलं कुर्यात्, पद्मप्रभस्य जन्मभू:। जिनसूर्यो मनोऽब्जं मे, प्रफुल्लीकुरुतादपि।।६।। वाराणसी जगन्मान्या, मंगलं तनुतान्मम। जन्मभूमि:…
“….नवनिधि व्रत विधि एवं पूजा….” १. नवनिधि व्रत विधि २. भगवान शांति-कुंथु-अर तीर्थंकर पूजा ३. अक्षयतृतीया व्रत विधि ४. भगवान ऋषभदेव जिनपूजा ५. रक्षाबंधन व्रतविधि ६. सलूना पर्व पूजा ७. विष्णुकुमार मुनि पूजा ८. शांतिनाथ व्रत विधि (शांतिभक्ति व्रत) ९. भगवान शांतिनाथ पूजा १०. शांतिभक्ति (हिन्दी पद्यानुवाद एवं मंत्र सहित) ११. एकीभाव व्रत विधि १२….
“..सरस्वती पूजा..” जिनदेव के मुख से खिरी, दिव्यध्वनी अनअक्षरी। गणधर ग्रहण कर द्वादशांगी, ग्रंथमय रचना करी।। इन अंग पूरब शास्त्र के ही, अंश ये सब शास्त्र हैं। उस जैनवाणी को जजूँ, जो ज्ञान अमृतसार है।।१।। ॐ ह्रीं अर्हन्मुखकमलविनिर्गतद्वादशांगमयी सरस्वती देवि! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं अर्हन्मुखकमलविनिर्गतद्वादशांगमयी सरस्वती देवि!अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्थापनं।…
“…शारदा व्रत…” शारदा-सरस्वती की आराधना, उपासना, भक्ति आदि से भव्यजीव समीचीन ज्ञान की वृद्धि करते हुए परम्परा से श्रुतकेवली, केवली पद को प्राप्त करेंगे। यह व्रत ज्येष्ठ मास में शुक्लपक्ष में एकम से आषाढ़ कृष्णा एकम तक सोलह दिन करना है। इसी प्रकार आश्विन मास में शुक्ला एकम से कार्तिक कृ. एकम तक पुन: माघ…