(चौबीसी नं. २६) पश्चिम पुष्करार्धद्वीप भरतक्षेत्र वर्तमानकालीन तीर्थंकर स्तोत्र
(चौबीसी नं. २६) पश्चिम पुष्करार्धद्वीप भरतक्षेत्र वर्तमानकालीन तीर्थंकर स्तोत्र -गीता छंद- पुष्कर अपर के भरत में, संप्रति जिनेश्वर जो हुए। समरस सुधास्वादी मुनी, उनके चरण में नत हुए।। उन वीतरागी सौम्य मुद्रा, देख जन-मन मोदते। उनकी करूँ मैं वंदना, वे सकल कल्मष धोवते।।१।। -दोहा- अलंकार भूषण रहित, फिर भी सुन्दर आप। आयुध शस्त्र विहीन हो,…