श्री अनंतजिन स्तोत्र (छंद सहित)
श्री अनंतजिन स्तोत्र (छंद सहित) जलोद्धतगति: छन्द:-(१२ अक्षरी) निजात्मसमतारसैर्गुणनिधिं। भृतं सुखसुधाकरं शिवमयं।। उपैमि तव भक्तितो जिनप! त्वां!। अनन्तजिन! ते नमोऽस्तु सततं।।१।। प्रियंवदा छन्द:-(१२ अक्षरी) त्रिविधकर्ममलदोषनाशकृत्। त्रिभुवनेऽग्रशिखरे विराजते। त्रिभुवनाधिप! सदा पुनीहि मां! सहजमात्मजसुखं प्रदेहि मे।।२।। ललिता छन्द:-(१२ अक्षरी) य: सिंहसेननृपज: सुकार्तिके। गर्भेऽसिते प्रथमवासरे त्वित:।। तत्र त्रिबोधयुत एव पुण्यवान्! तस्य प्रभाववशत: प्रसू: बभौ।।३।। क्षमा छन्द:-(१३ अक्षरी) जिनजनिमसिता…