मंगलाचरण
मंगलाचरण -दोहा- अनंत दर्शन ज्ञान औ, सुख औ वीर्य अनंत। अनंत गुण के तुम धनी, नमूँ नमूँ भगवंत।।१।। (चाल-हे दीनबंधु…….) जैवंत तीर्थकर अनंत सर्वकाल के। जैवंत धर्मवंत न हों वश्य काल के।। जै पाँच भरत पाँच ऐरावत में हो रहे। जै भूत वर्तमान औ भविष्य के कहे।।१।। इस जम्बूद्वीप में हैं भरत और ऐरावत। इन…