(२५) श्री समुच्चय चौबीस जिनस्तुति
(२५) श्री समुच्चय चौबीस जिनस्तुति श्री चौबीसों तीर्थंकर ही, भव्यों के शिवपथ नेता हैं। वे कर्म अचल के भेत्ता हैं, त्रिभुवन के ज्ञाता दृष्टा हैं।। मैं उनको पुन: पुन: प्रणमूँ, नित प्रति ध्याऊँ औ गुण गाऊँ। यावत् नहिं सिद्धि मिले तावत्, जिन चरणों में ही रम जाऊं ।।१।। चन्द्रप्रभु पुष्पदंत शशि सम, छवि पार्श्व सुपार्श्व…