(चौबीसी नं. २५) पश्चिम पुष्करार्धद्वीप भरतक्षेत्र भूतकालीन तीर्थंकर स्तोत्र
(चौबीसी नं. २५) पश्चिम पुष्करार्धद्वीप भरतक्षेत्र भूतकालीन तीर्थंकर स्तोत्र -नरेन्द्र छंद- पश्चिम पुष्कर के दक्षिण दिश, भरतक्षेत्र मन भावे। उसमें आर्यखंड चौथे युग, में जिनवर उपजावे।। हुये अतीत तीर्थकर चौबिस, उनको वंदूँ ध्याऊँ। समतारस पीयूषपान कर, भव-भव क्लेश मिटाऊँ।।१।। -दोहा- सौम्य छवीयुत मुखकमल, मंद-मंद मुस्कान। अंतर शुद्धी कह रहा, खेदरहित अमलान।।२।। -अडिल्ल छंद- ‘पद्मचंद्र’ जिनराज…