(चौबीसी नं. १५) पश्चिम धातकीखण्डद्वीप भरतक्षेत्र भविष्यत्कालीन तीर्थंकर स्तोत्र
(चौबीसी नं. १५) पश्चिम धातकीखण्डद्वीप भरतक्षेत्र भविष्यत्कालीन तीर्थंकर स्तोत्र -अडिल्ल छंद- अचलमेरु के दक्षिण में शुभ भरत है। उसके चौथे युग में जिन वृष करत हैं।। भाविकाल के चौबिस जिनवर जानिये। आज यहीं पर वंदन विधिवत् ठानिये।।१।। रोला छंद ‘रक्तकेश प्रभु’ आप, भव भय व्याधि विनाशी। मैं वंदूँ नित आप, चिन्मय ज्योति विकासी।। सात भयों…