समवसरण का वर्णन
समवसरण का वर्णन मंगलाचरण ॐ नम: मंगलं कुयात्, ह्रीं नमश्चापि मंगलम्। मोक्षबीजं महामन्त्रं, अर्हं नम: सुमंगलम्।।१।। मंगलं भगवान्नर्हन्, मंगलं ऋषभेश्वर:। मंगलं सर्वतीर्थेशा: जैनधर्मोऽस्तु मंगलम्।।२।। मंगलं भगवान् वीरो, मंगलं गौतमो गणी। मंगलं कुंदकुन्दाद्या:, जैनधर्मोऽस्तु मंगलम्।।३।। -दोहा- समवसरण में राजते, तीर्थंकर भगवंत। नमूँ अनंतों बार मैं, पाऊँ सौख्य अनंत।।१।। भगवान को केवलज्ञान प्रगट होते ही इन्द्र की…