ह्रीं बीजाक्षर में चौबीस तीर्थंकर भगवान
ह्रीं बीजाक्षर में चौबीस तीर्थंकर भगवान इस ह्रीं बीजाक्षर में यथास्थान तीर्थंकर विराजमान होने का नियम है। जैसा कि ऋषिमण्डल स्तोत्र में लिखा है- अर्हदाख्य: सवर्णान्त:, सरेफो बिंदुमण्डित:। तुर्यस्वरसमायुक्तो, बहुध्यानादिमालित:।।९।। एकवर्णं द्विवर्णं च, त्रिवर्णं तुर्यवर्णकं। पंचवर्णं महावर्णं, सपरं च परापरं।।१०।। अस्मिन् बीजे स्थिता: सर्वे, वृषभाद्या जिनोत्तमा:। वर्णैर्निजैर्निजैर्युक्ता, ध्यातव्यास्तोत्र संगता:।।११।। नादश्चन्द्रसमाकारो, बिंदुर्नीलसमप्रभ:। कलारुणसमासांत:, स्वर्णाभ: सर्वतोमुख:।।१२।। शिरः…