द्वादशांग श्रुतज्ञान लिपिबद्ध नहीं हो सकता
द्वादशांग श्रुतज्ञान लिपिबद्ध नहीं हो सकता (दिगम्बर जैन परम्परा में भगवान महावीर के बाद ६८३ वर्ष तक ही द्वादशांग श्रुत एवं उसके ज्ञाता आचार्य रहे हैं) -गणिनी ज्ञानमती माताजी जैन वाङ्गमय द्वादशांगरूप है और दिगम्बर जैन परम्परा के अनुसार आज द्वादशांग उपलब्ध नहीं हैं क्योंकि द्वादशांग लिखे ही नहीं जा सकते, लिपिबद्ध नहीं हो सकते।…