प्रशस्ति
प्रशस्ति…….. ऋषभदेव को नित नमूँ, नमूँ अयोध्या तीर्थ। हुये अनंतानंत ही, तीर्थंकर मुनिकीर्त्य।।१।। महावीर प्रभु को नमूँ, भक्तिभाव उर धार। जिनके शासन में मिला, धर्म सौख्य करतार।।२।। श्री गौतम गणधर चरण, नमूँ नमूँ शत बार। नमूँ सरस्वति मात को, मिले ज्ञान का सार।।३।। कुंदकुंद आम्नाय में, गच्छ सरस्वति मान्य। बलात्कारगण सिद्ध है, उनमें सूरि प्रधान।।४।।…