कर्त्रन्वय क्रियाएँ
कर्त्रन्वय क्रियाएँ पुन: भरत महाराज कहते हैं- ‘‘हे द्विजों ! मैं अब उन कर्त्रन्वय क्रियाओं को कहता हूँ, जो कि अल्पसंसारी भव्य प्राणी के ही हो सकती हैं। इनके सात भेद हैं- १. सज्जाति २. सद्गृहित्व ३. पारिव्राज्य ४. सुरेन्द्रता ५. साम्राज्य ६. आर्हन्त्य और ७. परनिर्वाण। १. सज्जाति-यह पहली क्रिया किसी निकट भव्य को…