श्री पार्श्व जिन स्तुति
श्री पार्श्व जिन स्तुति (पृथ्वी छंद) सुरासुर – खगेन्द्रवंद्य – चरणाब्जयुग्मं प्रभुं। महामहिम – मोहमल्ल – गजराज – कंठीरवं।। महामहिम – रागभूमिरुह – मूलमुत्पाटनं। स्तवीमि कमठोपसर्गजयि-पार्श्वनाथं जिनं।।१।। देव असुर विद्याधर वन्दित, चरण सरोरुह पार्श्व प्रभो। महा प्रभावी मोहमल्ल, हस्ती के लिए सिंह सम हो।। महिमाशाली राग वृक्ष को, जड़ से कीना उन्मूलन। कमठोपसर्गजयि पारस का,…