तीस चौबीसी स्तुति
तीस चौबीसी स्तुति (भरत-ऐरावत क्षेत्र तीर्थंकर स्तुति) (चाल-हे दीनबंधु…..) जैवंत तीर्थंकर अनंत सर्वकाल के। जैवंत धर्मवंत न हो वश्य काल के।। जै पाँच भरत पाँच ऐरावत में हो रहे। जै भूत वर्तमान औ भविष्य के कहे।।१।। इस जंबूद्वीप में हैं भरत और ऐरावत। इन दो ही क्षेत्र में सदा हो काल परावृत।। जो पूर्वधातकी औ…