मुनियों ने मरणासन्न वानर को णमोकार मंत्र सुनाया (उत्तरपुराण ग्रंथ में)
मुनियों ने मरणासन्न वानर को णमोकार मंत्र सुनाया (उत्तरपुराण ग्रंथ में) तत्र जन्मान्तरद्वेषात् कृतयुद्धौ गतासुकौ। सम्मेदपर्वते जातौ वानरौ वा नरौ धिया।।१३५।। शिलासलिलहेतोस्तौ कलहं खलु चक्रतु:। मृतस्तयो: सपद्येक: पर: कण्ठगतासुक:।।१३६।। सुरदेवादिगुर्वन्तचारणाभ्यां समुत्सुकः। श्रुत्वा पंचनमस्कारं धर्मश्रुतिपुरस्सरम्।।१३७।। सौधर्मकल्पे चित्राङ्गदाख्यो देवोऽजनिष्ट स:। ततो निर्गत्य जम्ब्वादिद्वीपे भरतमध्यगे।।१३८।। अर्थ–वहाँ भी जन्मान्तर के द्वेष के कारण दोनों युद्ध कर मरे और सम्मेदपर्वत…