श्री शांतिनाथ स्तोत्र (नं. 1,2,3)
श्री शांतिनाथ स्तोत्र (नं. १) (सर्व विघ्नहर स्तोत्र) षोडशं तीर्थकर्तारं, पंचमं चक्रवर्तिनम्। द्वादशं कामदेवं च, शांतिनाथं नमाम्यहम्।।१।। -नरेन्द्र छंद- शत इंद्रों से योगि वृंद से, वंदित पद पंकज हैं। शाश्वत ज्ञान दरश सुख बीरज, धारी रवि अद्भुत हैं।। शुक्लध्यान से घातिकर्म, वैरी को दग्ध किया है। ऐसे श्रीअर्हंतदेव का, वंदन नित्य किया है।।१।। आठ कर्म…