दीक्षा योग्य मुहूर्त (महापुराण के आधार से) गार्हस्थ्यमनुपाल्यैवं गृहवासाद् विरज्यत:। यद्दीक्षाग्रहणं तद्धि पारिव्राज्यं प्रचक्ष्यते।।१५५।। पारिव्राज्यं परिव्राजो भावो निर्वाणदीक्षणम्। तत्र निर्ममता वृत्त्या जातरूपस्य धारणाम्।।१५६।। प्रशस्ततिथिनक्षत्रयोगलग्न ग्रहांशके। निग्र्रन्थाचार्यमाश्रित्य दक्षा ग्राह्या मुमुक्षुणा।।१५७।। विशुद्धकुलगोत्रस्य सद्वृत्तस्य वपुष्मत:। दीक्षायोग्यत्वमाम्नातं सुमुखस्य सुमेधस:।।१५८।। ग्रहोपरागग्रहणे परिवेषेन्द्रचापयो:। वक्रग्रहोदये मेघपटलस्थगितेऽम्बरे।।१५९।। नष्टाधिमासदिनयो: संक्रान्तौ हानिमत्तिथौ। दीक्षाविधिं मुमुक्षूणां नेच्छन्ति कृतबुद्धय:।।१६०।। इस प्रकार गृहस्थधर्म का पालन कर घर के निवास…
मुनि दीक्षा विधि -मंगलाचरण- श्री त्रैलोक्यगुरुं नत्वा, त्रैलोक्याग्रपदाप्तये। तीर्थंकरान् गणीन्द्रांश्च, जिनवाणीमपि स्तुम:।।१।। संप्रति शासनं यस्य, तं वीरस्वामिनं नुम:। इन्द्रभूतिगणीन्द्राय, नमोऽस्तु सर्वसाधवे।।२।। षोडशकारणं पर्व, षोडशतीर्थकृज्जिन:। सद्दृग्विशुद्धिसंप्राप्त्यै, तत्तं च कोटिशो नुम:।।३।। सम्यग्दीक्षाविधिं प्राप्य, भवेदात्मा जगद्गुरु:। त्रैलोक्यस्य गुरुर्भूत्वा, त्रैलोक्याग्रेऽवतिष्ठते।।४।। आर्षात्संकलनं कृत्वा, जैनीदीक्षाविधे: क्रमात्। महाव्रतस्य दीक्षाप्त्यै, दीक्षाविधिरनूद्यते।।५।।
आठ कर्मों का स्वभाव ज्ञानावरण –जो आत्मा के ज्ञान गुण को ढके-प्रकट न होने दे, जैसे-देवता के मुख पर पड़ा हुआ वस्त्र। दर्शनावरण –जो आत्मा का दर्शन न होने दे, जैसे-राजा का पहरेदार। वेदनीय – जो जीव को सुख-दु:ख का वेदन-अनुभव करावे, जैसे-शहद लपेटी तलवार की धार। मोहनीय – जो आत्मा को मोहित-अचेतन करे, जैसे-मदिरापान।…