जैन कर्मसिद्धान्त और मनोविज्ञान
जैन कर्मसिद्धान्त और मनोविज्ञान डा. रत्नलाल जैन, बी पब्लिशर्स (प्रा.) लि. १९२१/१०, चूना मण्डी, पहाड़गंज, नई दिल्ली— ११००५५, १९९६, पृ. २८२, मू. २५५/ भारतीय दर्शन जीवनदर्शन है। इसमें भी जैन चिन्तनधारा का अनुपम स्थान है। इसमें आत्मा, परमात्मा, लोक और कर्म आदि दार्शनिक तत्वों पर गंभीर अध्ययन और सूक्ष्म विवेचन किया गया है। जैन कर्मसिद्धान्त…