कहानी – चारों अनुयोगों की 17-11-24
कहानी – चारों अनुयोगों की (आर्यिका चंदनामति माता जी द्वारा)
कहानी – चारों अनुयोगों की (आर्यिका चंदनामति माता जी द्वारा)
नंदीश्वर विधान (आर्यिका चंदनामति माता जी द्वारा)
क्षमा आत्मा का स्वभाव है उत्तम क्षमा क्षमा वीरस्य भूषणम् : क्षमावाणी पर्व श्री भगवान ऋषभदेव दिगम्बर जैन मंदिर बडी मूर्ति रायगंज में दशलक्षण पर्व के समापन के अवसर पर भगवान ऋषभदेव की बड़ी मूर्ति का १००८ कलशों से महामस्तकाभिषेक किया गया एवं सारे विश्व में अिंहसा और शांति की कामना से महाशांतिधारा सम्पन्न की…
दशलक्षण महापर्व के अन्तर्गत हवन पूर्णाहुति एवं भव्य शोभायात्रा निकाली गई विश्वशांति महाअनुष्ठान सम्पन्न ब्रह्मचारी सदा सुखी : उत्तम ब्रह्मचर्य आत्मा ही ब्रह्म है, उस ब्रह्मस्वरूप आत्मा में चर्या करना ब्रह्मचर्य है अथवा गुरु के संघ में रहना भी ब्रह्मचर्य है। इस व्रत के प्रभाव से जीव संसार को पार कर लेता है, इस व्रत…