Purvanupurvi
[[श्रेणी : शब्दकोष]] ”’पूर्वानुपुर्वी”’ – Purvanupurvi. Exposition of something with fundamental (root) method. आनुपूर्वी का एक भेद; जो वस्तु का विवेचन मूल परिपाटी द्वारा किया जाता है उसे पुर्वानुपुर्वी कहते हैं |
[[श्रेणी : शब्दकोष]] ”’पूर्वानुपुर्वी”’ – Purvanupurvi. Exposition of something with fundamental (root) method. आनुपूर्वी का एक भेद; जो वस्तु का विवेचन मूल परिपाटी द्वारा किया जाता है उसे पुर्वानुपुर्वी कहते हैं |
कुन्दकुन्द दिगम्बर आम्नाय के एक प्रधान आचार्य | अपरनाम वट्टकेर । इन्होंने अपने जीवनकाल में गिरनार पर्वत की संघसहित यात्रा का बहुत बड़ा रेकार्ड बनाया एवं ८४ पाहुड ग्रन्थों की रचना करके जैनसमाज पर बहुत उपकार किया है । इनमें मूलाचार, समयसार, नियमसार आदि ग्रन्थों का स्वाध्याय समाज में बृहत् स्तर पर किया जाता है…
कर्म कर्म शब्द के अनेक अर्थ है यथा- कर्मकारक, क्रिया तथा जीव के साथ बंधने वाले विशेष जाति के पुद्गल स्कन्ध | कर्मकारक जगत प्रसिद्ध है , क्रियाएं समवदान व अध: कर्म आदी के भेद से अनेक प्रकार है | कार्मण पुद्गल का मिथ्यात्व , असंयम , योग और कषाय के निमित्त से आठ कर्म…
गृहस्थ धर्म (Grahasth Dharm) जो पुरूष देवपूजा, गुरूपास्ति, स्वाध्याय, संयम, तप, और दान इन षट्कर्मों के करने में तल्लीन रहता है, जिसका कुल उत्तम है वह चूली, उखली, बुहारी आदि गृहस्थ की नित्य षट् आरम्भ क्रियाओं से होने वाले पाप से मुक्त हो जाता है वही उत्तम श्रावक कहलाता हैं। जो भव्य बिंबाफल के समान…
गर्भ कल्याणक (Garbh Kalyanak) तीर्थंकर भगवान माता के गर्भ में आने छह महीने पूर्व ही भगवान ऋषभदेव यहाँ स्वर्ग से अवतार लेंगे ऐसा जानकर देवों ने बड़े आदर के साथ आकाश से रत्नो की वर्षा प्रारम्भ कर दी थी। इन्द्र की आज्ञा से नियुक्त हुए कुबेर ने हरिन्मणि इन्द्रनीलमणि पद्मरागमणि आदि उत्तम-उत्तम रत्नों की धारा…
गजकुमार (Gajkumar) वसुदेव का पुत्र तथा कृष्ण का छोटा भाई था। एक ब्रह्मणी की कन्या से सम्बन्ध जुड़ा ही था कि मध्य में ही दीक्षा धारण करली। तब इसके ससुर ने इनके सरपर क्रोध से प्रेरित होकर आग जला दी। उस उपसर्ग को जीत मोक्ष को प्राप्त कर लिया। आराधना कथा कोष के अनुसार- नेमिनाथ…
गोम्मटसार (Gommatsar) मन्त्री चामुण्डराय के अर्थ (निमित्त) आ नेमिचन्द्र सिद्धान्त चक्रवर्ती द्वारा रचित कर्म सिद्धान्त प्ररूपक प्राकृत गाथाबद्ध ग्रंथ है। यह ग्रन्थ दो भागों में विभक्त है- जीवकाण्ड व कर्मकाण्ड । जीवकाण्ड में जीव की गति आदि २० प्ररूपणाओं द्वारा वर्णन है और कर्मकाण्ड में कर्मो की च्व १४८ मूलोत्तर प्रकृतियों के बन्ध उदय सत्व…
गिरनार (Girnar) भरत क्षेत्र का पर्वत है अपर नाम ऊर्जयन्त । सौराष्ट्र देश जूनागढ़ स्टेट में स्थित है। देवों से युक्त भगवान् नेमिनाथ उपदेश करते हुए उत्तरापथ से सुराष्ट्र देश की ओर आये। जिनेंद्र रूपी सूर्य यद्यपि उत्तरायण को उलंघन कर दक्षिणायन को प्राप्त हुये थे तथापि उनका तेज पहले के समान सर्वत्र व्याप्त था।…
गांगेय (Gangey) इनका अपर नाम भीषमाचार्य था। ये राजा पाराशर के पुत्र थे। पिता को धीवर कन्या पर आसक्त देख धीवर की शत्र पूरी करके अपने पिता को संतुष्ट करने के लिए आपने स्वयं राज्य का त्याग कर दिया और आजन्म ब्रह्मचर्य से रहने की भीष्म प्रतिज्ञा की । कौरवों तथा पांडवो को अनेको उपयोगी…
गुरू (Guru) गुरू शब्द का अर्थ महान होता हैं। लोक में अध्यापको को गुरू कहते है। माता पिता भी गुरू कहलाते हैं । परन्तु धार्मिक प्रकरण में आचार्य, उपाध्याय, साधु को गुरू मानते है, क्योकि वे जीव को उपदेश देकर अथवा बिना उपदेश दिये ही केवल अपने जीवन का दर्शन कराकर कल्याण का वह सच्चा…