06. छठा परिच्छेद
छठा परिच्छेद छठा परिच्छेद सल्लेखना का लक्षण उपसर्गे दुर्भिक्षे, जरसि रुजायां च नि:प्रतीकारे। धर्माय तनुविमोचन-माहु: सल्लेखनामार्या:।।१२२।। उपसर्ग और दर्भिक्ष समय अरू जरा रोग के आने पर। जिसका प्रतिकार न हो सकता ऐसे असाध्यक्षण आने पर।। जिन धर्म तथा रत्नत्रय की रक्षा के लिए प्राणियों को। निजकाया का भी त्याग करे बस कहे समाधिमरण उसको।। जिसको…