लघु स्वयंभू स्तोत्र आचार्य प्रभाचंद की कृति है, इस स्तोत्र में चौबीसों ़ तीर्थंकर भगवान की स्तुति की गई है। इस स्तोत्र का भावानुवाद मुनि श्री विभव सागर महाराज जी ने किया है । यह तो सबके लिए मंगलमय हो।