मातृ भक्ति
मातृ भक्ति
भक्तिमार्ग का प्रचार – प्रसार आज से नहीं , आचार्य कुन्दकुन्द के समय से था | वीतराग मार्ग का अनुसरण करते हुए स्वयं आचार्य कुन्दकुन्ददेव ने भक्ति पाठों की रचना की | ये भक्तियाँ प्राकृत भाषा में रचित हैं | पूज्य आर्यिका श्री रत्नमती माताजी के विशेष आग्रह से पूज्य माताजी ने इनका हिन्दी पद्यानुवाद सन् १९७२ में कर दिया था , किन्तु उनका प्रकाशन सन् १९८५ में हो पाया |
इस पुस्तक में आचार्य पूज्यपाद कृत संस्कृत भक्तियाँ का तथा गौतम गणधर रचित दो भक्तियों का हिन्दी पद्यानुवाद भी दिया गया है |
४ जून १९८२ को दिल्ली के लाल किला मैदान से तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी के कर कमलों से एवं पूज्य गणिनी श्री ज्ञानमती माताजी के आशीर्वाद से जम्बूद्वीप ज्ञानज्योति प्रवर्तन का शुभारंभ हुआ था | सम्पूर्ण भारतवर्ष में १०४५ दिनों तक इस रथ का भ्रमण हुआ | आवश्यकता को देखते हुए सन् १९८४ ज्ञानज्योति गाइड पुस्तक का सृजन पूज्य माताजी ने किया | इसको पढ़ने से हस्तिनापुर का इतिहास , जम्बूद्वीप रचना का परिचय तथा ज्योति रथ पर दिए गए चित्रों का परिचय प्राप्त होता है |