जैन ज्योतिर्लोक
जैन वांगमय चार अनुयोगों में विभक्त है जिसमें करणानुयोग के अंतर्गत तीनों लोक , भूगोल- खगोल आदि का वर्णन आता है | परम पूज्य गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी ने चारों अनुयोगों का तलस्पर्शी ज्ञानप्राप्त करके करणानुयोग के अंतर्गत जैन ज्योतिर्लोक के विषय में बताया है | प्रस्तुत पुस्तक में सूर्य, चंद्रमा, तारे कहाँ हैं ? पृथ्वी से कितनी ऊंचाई पर हैं? उनके विमान का प्रमाण , उनकी किरणों का प्रमाण ,शीत- उष्ण किरणें , देवों की आयु , दिन – रात्रि का विभाग , १ मिनट में सूर्य का गमन , चंद्रग्रहण – सूर्यग्रहण आदि प्रमुख विषय लिए गए हैं | साथ ही भूभ्रमण खंडन में जैन ग्रन्थानुसार पृथ्वी को स्थिर बताया है | इस् पुस्तक के माध्यम से जैन भूगोल- खगोल को अच्छी प्रकार समझा जा सकता है |