न्यायसार
जैन सिद्धांत में न्याय शास्त्र कसौटी के पत्थर सदृश है, जिसके द्वारा सत्य-असत्य की परीक्षा की जाती है।
न्यायसार ग्रंथ में प्रमाण और नयों के द्वारा सत्य को पुष्ट किया गया है और प्रमाण के भेद-प्रभेदों का वर्णन करके मतिज्ञान के 336 भेदों का वर्णन किया गया है
नय के सात भेदों का वर्णन किया गया है और प्रमाणाभास का वर्णन करते हुए जैन धर्म का समर्थन एवं अन्य मतावलंबियों का विशेष खंडन किया गया है
इस ग्रंथ का स्वाध्याय हम सभी के सम्यग्ज्ञान की वृद्धि करें, यही मंगल कामना है