तीन लोक विधान
तीन लोक विधान में समस्त अकृत्रिम जिनमंदिर और जिनप्रतिमाओं की पूजा है , ये जिनमंदिर व जिनप्रतिमाएं अनादिनिधन हैं जिनकी सुंदरता और वीतरागता अन्यत्र असंभव है |
ज्योतिष देवों के सूर्य, चन्द्रमा आदि विमान हैं , इन असंख्यात विमानों में असंख्यात जिनमंदिर हैं , पुनः ऊर्ध्यलोक में ८४ लाख सत्तानवे हजार २३ जिनमंदिर हैं | इन सभी जिनमंदिरों की पूजा इस तीन लोक विधान में की गयी है | इस विधान में कुल ८८४ अर्घ्य, १४० पूर्णार्घ्य और ६५ जयमाला हैं | यह विधान सभी को त्रिलोक शिखर के अग्र भाग की प्राप्ति कराने में निमित्त बने यही मंगल भावना है |