तीर्थंकर श्री ऋषभदेव चरितम्
”ऋषभदेव चरितम् ” ग्रन्थ महापुराण के अंतर्गत आदिपुराण का सार है | इसमें भगवान के दश अवतारों का वर्णन पूज्य गणिनी श्री ज्ञानमती माताजी ने संस्कृत भाषा में किया है जिसका हिन्दी अनुवाद पूज्य प्रज्ञाश्रमणी आर्यिकारत्न श्री चंदनामती माताजी ने ”ब्राम्ही टीका ” के नाम से किया है | इस ग्रन्थ में भगवान के दश भवों को दश अधिकारों में विभक्त किया है | इसमें १ अक्षर से लेकर १९ अक्षर तक के छंदों तथा ५७ ग्रंथों का प्रयोग है | इसके माध्यम से अत्यंत सरल रूप में संस्कृत व हिन्दी भाषा में भगवान ऋषभदेव के चरित्र को समझा जा सकता है |