श्री पद्मनंदिपंचविंशतिका
आचार्य पद्मनंदी महाराज द्वारा रचित पद्मनंदी पंचविंशतिका ग्रंथ है। इस ग्रंथ में 26 अधिकार के माध्यम से श्रावक के धर्म का, मुनिधर्म का, दान की महत्ता, बारहभावना आदि का विशेष विवेचन किया गया है।
इस ग्रंथ की अपनी एक विलक्षण कहानी है इस ग्रंथ को मोहनी मां को (गणिनी प्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी की गृहस्थावस्था की मां) उनके माता-पिता ने दहेज में दिया था, जिसका स्वाध्याय मोहिनी जी स्वयं किया करती थी एवं अपनी पुत्री मैना को भी कराकर उनके वैराग मार्ग को प्रशस्त किया था।
इस ग्रंथ को पढ़कर अपने सम्यग्दर्शन को दृढ़ बनाएं यही मंगल भावना है।