समवसरण रचना- पढ़ें
इस पुस्तक में पूज्य गणिनी प्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी ने तिलोयपण्णत्ति षट्खंडागम पुस्तक 9, आदिपुराण भाग 1 एवं हरिवंशपुराण इन चार ग्रंथों के आधार से समवसरण का सुंदर वर्णन प्रस्तुत किया है। तिलोयपण्णत्ति ग्रंथ से चौबीसों तीर्थंकरों के समवसरण संबंधी संपूर्ण वर्णन का विस्तृत विवेचन किया है, षट्खंडागम, धवला पुस्तक 9 के आधार से भगवान महावीर स्वामी के जीवन चरित्र उनके समवसरण का वर्णन है एवं आदि पुराण से भगवान ऋषभदेव के समवसरण का तथा हरिवंश पुराण से भगवान नेमिनाथ के केवलज्ञान व समवसरण का विस्तृत वर्णन किया गया है
पुस्तक के प्रारंभ में पूज्य माता जी द्वारा रचित “समवसरण वन्दना” में समोसारण का पूरा वर्णन किया गया है और पुस्तक के अंत में समवसरण का ध्यान का वर्णन एवं करने की प्रेरणा दी गई है।
इस पुस्तक को पढ़कर एवं ध्यान को करके अपने जीवन को सफल बनाएं ,यही मंगल कामना है