वीर नि.स. २५२५ , सन् १९९९ में पूज्य माताजी ने यह पुस्तक लिखी , इसमें भगवान ऋषभदेव कैसे बने ? राजा महाबल की पर्याय से उनके जीवन का उत्थान प्रारम्भ हुआ , पुनः ललितांग देव, राजा वज्रजंघ, भोगभूमि आर्य , श्रीधर देव , सुविधि राजा , अच्युतेंद्र , वज्रनाभि चक्रवर्ती , सर्वार्थसिद्धि के अहमिन्द्र आदि भवों का वर्णन कर भगवान ऋषभदेव के पञ्चकल्याणक का वर्णन किया है |
फरवरी २०१० में हस्तिनापुर में नवनिर्मित तीर्थंकरत्रय एवंतीन लोक की प्रतिमाओं के पञ्चकल्याणक महोत्सव के अवसर पर लिखी गयी इस पुस्तक में संक्षिप्त रूप में तीनों लोकों की व्यवस्था एवं उसके चैत्यालयों का सुन्दर वर्णन है |