ऋषभदेव के श्री भरत आदि १०१ मोक्ष प्राप्त पुत्रों की वंदना ऋषभदेव के पुत्र सब, भरत आदि शत एक। दीक्षा ले शिवपथ लिया, नमूँ नमूँ शिर टेक।।१।। श्री भरत चक्री के ९२३ मोक्ष प्राप्त पुत्रों की वंदना भरत चक्रि के विवर्द्धनादि-सुत नव सौ तेईस। दीक्षा ले शिवपथ लिया, नमूँ नमूँ नत शीश।।१।। इक्ष्वाकुवंशीय सिद्धपरमेष्ठी वंदना…
तीन चौबीसी मंत्र (१) जंबूद्वीप संबंधी भरतक्षेत्र के भूतकालीन चौबीस तीर्थंकर १. ॐ ह्रीं श्री निर्वाणजिनेन्द्राय नम:। २. ॐ ह्रीं श्री सागरजिनेन्द्राय नम:। ३. ॐ ह्रीं श्री महासाधुजिनेन्द्राय नम:। ४. ॐ ह्रीं श्री विमलप्रभजिनेन्द्राय नम:। ५. ॐ ह्रीं श्री श्रीधरजिनेन्द्राय नम:। ६. ॐ ह्रीं श्री सुदत्तजिनेन्द्राय नम:। ७. ॐ ह्रीं श्री अमलप्रभजिनेन्द्राय नम:। ८. ॐ…
सप्ततिज्ञानमंत्राणि अपने ज्ञान की वृद्धि हेतु निम्न मंत्रों का प्रतिदिन पाठ करें। विशेष रूप से आश्विन शुक्ला एकम से आश्विन शुक्ला पूर्णिमा तक (१५ दिन तक) शारदा पक्ष में इन मंत्रों का प्रातःकाल पाठ करने से ज्ञान में पूर्ण चन्द्रमा की तरह वृद्धि होगी। अनुष्टुप ज्ञानमत्यै नमस्तुभ्यं, वरदे ज्ञानदायिनि। मंत्रारम्भं करिष्यामि, शुद्धिर्भवतु मे सदा।।१।। १….
सरस्वती देवी के १०८ मंत्र अर्हद्वक्त्राब्जसंभूतां, गणाधीशावतारितां । महर्षिधारितां स्तोष्ये, नाम्नामष्टशतेन गां ।। १. ॐ ह्रीं श्री आदिब्रह्ममुखाम्भोज प्रभवायै…
पद्मावती सहस्रनाम मंत्र विधि– श्री पद्मावती महादेवी की मूर्ति को मूलस्थान अथवा मन्डप आदि अगर बनाया हो तो वहाँ विराजमान करके दूसरे दिन तक वहीं पर स्थापित रखें, उनके सामने व्रतधारी पद्मासन से बैठकर और बहुत तल्लीन होकर सहस्रनाम के प्रत्येक बीजाक्षर मंत्र को गंभीरता से शुद्ध उच्चारण करते हुये एक-एक चुटकी कुंकुम या लवंग…
अथ श्रीचक्रेश्वरीदेवी अष्टोत्तरशतनाम बीजाक्षर मन्त्राः अष्टोत्तरशतं शुभ्रैः पुष्पैर्वामणिभिस्तथा।यक्षेश्वरी-पदाम्भोजे जपं कृत्वा नमाम्यऽहम् ।। १. ॐ आं क्रों ह्रीं चक्रेश्वर्यै नमः …
नवग्रह बृहद् मंत्र- १. ॐ नमोऽर्हते भगवते श्रीमते पद्मप्रभतीर्थंकराय कुसुमयक्ष-मनोवेगायक्षीसहिताय ॐ आं क्रौं ह्रीं ह्र: आदित्यमहाग्रह! मम (……….१) सर्वदुष्टग्रहरोगकष्टनिवारणं कुरु कुरु सर्वशांतिं कुरु कुरु सर्वसमृद्धिं कुरु कुरु इष्टसंपदां कुरु कुरु अनिष्टनिवारणं कुरु कुरु धनधान्यसमृद्धिं कुरु कुरु काममांगल्योत्सवं कुरु कुरु हूँ फट् स्वाहा। (७००० जाप्य) अथवा- १. ॐ नमोऽर्हते भगवते श्रीमते पद्मप्रभतीर्थंकराय कुसुमयक्ष-मनोवेगायक्षीसहिताय ॐ आं क्रौं…
[[श्रेणी:नव_ग्रह_सम्बन्धी_मंत्र_आदि]] == नवग्रहशांति कारक मंत्र -गणिनीप्रमुख ज्ञानमती माताजी नवग्रहस्तोत्र को पढ़ने की एवं नवग्रह विधान को करने की परंपरा जैन समाज में हमेशा से चली आ रही है। ज्योतिषी पंडितों के कहे अनुसार किसी की जन्मकुंडली में कौन से ग्रहों का अशुभ योग चल रहा है, यह जानकर जैन बंधु भी गुरुओं के पास…
ज्ञान पचीसी व्रत विधि ज्ञान पचीसी व्रत में ग्यारस के ग्यारह उपवास और चौदश के चौदह उपवास ऐसे पच्चीस उपवास होते हैं। यह व्रत ग्यारह अंग और चौदह पूर्व ज्ञान की आराधना के लिए किया जाता है। इसको श्रावण सुदी चतुर्दशी से करने का विधान है। मतांतर से इस व्रत में दशमी के दश उपवास…