आश्रय :!
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] == आश्रय : == नीया वि समत्थेहिं गहिया उच्चं लहंति संठाणं। धूलिकणा पुहवीए चरंति गयणम्मि वाएण।। —गाहारयणकोष : १२० नीच व्यक्ति भी यदि बड़ों का सहारा लेते हैं तो ऊँचे पद तक पहुँच जाते हैं। जैसे पृथ्वी के धूलि—कण हवा का आश्रय पाकर आकाश में गमन करते हैं।