कर्म :!
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] == कर्म : == जीवाणं चेयकडा कम्मा कज्जंति, नो अचेयकडा कम्मा कज्जंति। —भगवती सूत्र : १६-२ आत्माओं के कर्म चेतनाकृत होते हैं, अचेतनाकृत नहीं। कर्म चिन्वन्ति स्ववशा:, तस्योदये तु परवशा भवन्ति। वृक्षमारोहति स्ववश:, विगलति स परवश: तत:।। —समणसुत्त : ६० जीव कर्मों का बंध करने में स्वतंत्र है पर उस कर्म का…