छह द्रव्यों का वर्णन!
[[श्रेणी:द्रव्यानुयोग]] द्रव्य का लक्षण-द्रव्य का लक्षण सत् है अथवा गुण२ और पर्यायों के समुदाय को द्रव्य कहते हैं। द्रव्य छह होते हैं-जीव, पुद्गल, धर्म, अधर्म, आकाश और काल।
[[श्रेणी:द्रव्यानुयोग]] द्रव्य का लक्षण-द्रव्य का लक्षण सत् है अथवा गुण२ और पर्यायों के समुदाय को द्रव्य कहते हैं। द्रव्य छह होते हैं-जीव, पुद्गल, धर्म, अधर्म, आकाश और काल।
[[श्रेणी: अमूल्य प्रवचन]] भव्यात्माओं ! परमपूज्य गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी द्वारा महापुराण ग्रन्थ पर किये गये प्रवचन यहाँ प्रस्तुत किये जा रहे हैं , इन्हें पढ़कर आप सब महापुराण का ज्ञान प्राप्त करें और इन प्रवचनों की वीडियो सीडी भी जम्बूद्वीप – हस्तिनापुर से मँगवा सकते हैं ।
पंच अणुव्रत- हिंसा, झूठ, चोरी,कुशील और परिग्रह इन पाँच पापों को एक देश त्याग करना पंच अणुव्रत कहलाता है । इनका पालन करने वाले श्रावक अणुव्रती होते हैं और वे नियम से स्वर्ग को प्राप्त करते हैं ।
त्रयोदशी- भारतीय मास ( चैत्र- वैशाख आदि ) में आने वाली तिथियों में प्रति माह दो बार ( कृष्ण पक्ष एवं शुक्ल पक्ष में ) यह त्रयोदशी तिथि आती है ।
पुण्य- जीवन में सत्कर्मों के करने से जो कर्म बँधता है उसे पुण्य कहते हैं । पुण्य से ही संसार में सारे कार्य बनते हैं तथा पुण्य से ही मोक्ष की प्राप्ति होती है । इसलिए सदैव पुण्य के उपार्जन में आगे रहना चाहिए ।
इंसान – मनुष्य को इंसान कहा जाता है । दुनिया में इंसानियत ही मनुष्यता की पहचान मानी जाती है ।
कंचन-सोना नामकी धातु को कंचन कहते हैं ।पूजन में ऐसी सोने की झारी से जल की धारा करने से महान पुण्य की प्राप्ति होती है ।
जैन साधू एवं साध्वियाँ –भारत की धरती पर सदा- सदा से साधू- साध्वियों का जन्म होता रहा है उनकी त्याग- तपस्या से देश का मस्तक सदैव गौरव से ऊँचा रहा है ।जैन रामायण पद्मपुराण में आचार्य श्री रविषेण स्वामी ने कहा है –यस्य देशं समाश्रित्य, साधवः कुर्वते तपः । षष्ठमंशं नृपस्तस्य,लभते परिपालनात् ।।१ ।।अर्थात् जिस…