दिव्या!
दिव्या A division of Indras – celestial deities. एवं सिद्ध परमेष्ठी के 8 गुण ; अनंतज्ञान, अनंतदर्शन, अव्याबाधत्व, सम्यक्त्व, अवगाहनत्व, सूक्ष्मत्व, अगुरूलघुत्व, अनंतवीर्य।
दिव्या A division of Indras – celestial deities. एवं सिद्ध परमेष्ठी के 8 गुण ; अनंतज्ञान, अनंतदर्शन, अव्याबाधत्व, सम्यक्त्व, अवगाहनत्व, सूक्ष्मत्व, अगुरूलघुत्व, अनंतवीर्य।
तप कल्याणक –तीर्थंकर भगवान को जब वैराग्य होता है , तब लौकान्तिक देव आकर उनके वैराग्य की प्रशंसा करते हैं और इन्द्र- देवगण आकर बड़े महोत्सव के साथ उनकी दीक्षा कल्याणक का महोत्सव करते हैं ।उसी अवस्था का नाम है- तप कल्याणक ।
जन्म कल्याणक –तीर्थंकर भगवान के जन्म के समय सौधर्म इन्द्र अपने परिवार के साथ मध्य लोक आकर सुमेरु पर्वत की पांडुक शिला पर तीर्थंकर शिशु का जन्माभिषेक करके महोत्सव मनाते हैं ” उसी अवस्था का नाम है- जन्म कल्याणक ।
तुंबुरव Ruling demigod of Lord Sumatinath. सुमतिनाथ भगवान का शासक यक्ष (तुंबुरू देव)।
[[श्रेणी:सूक्तियां]] सूक्ति न: १- सुई का काम करो , कैंची का नहीं अर्थात् परिवार- समाज और देश में हमेशा एक-दूसरे को जोड़ने का काम करना चाहिए , तोड़ने का नहीं ।
[[श्रेणी:सूक्तियां]] सूक्ति: १ पीयूषं न हि निःशेषं पिबन्नेव सुखायते अर्थात् अमृत की एक बूँद भी अमरता को प्रदान करने वाली होती है ।
कातंत्र-व्याकरण –आचार्य श्री शर्ववर्म के द्वारा रचित यह संस्कृत व्याकरण है ।इसका हिन्दी अनुवाद भी पूज्य गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी ने किया है । जम्बूद्वीप- हस्तिनापुर से प्रकाशित इस व्याकरण का अध्ययन आज समस्त साधु संघों में होता है । इसका अध्ययन करने सभी साधुओं को यह ग्रन्थ संस्था द्वारा निःशुल्क भेजा जाता है ।
आचार्य श्री शान्तिसागर – बीसवीं सदी के प्रथम दिगंबर जैनाचार्य हुए हैं । दक्षिण भारत में जन्म लेकर इन्होंने मुनि परंपरा का जीर्णोद्धार किया तथा सन् १९५५ में समाधि लेकर एक कीर्तिमान स्थापित किया है ।गणिनी श्री ज्ञानमती माताजी ने इनके तीन बार दर्शन करके अपने जीवन को सफल किया है ।
नियमसार – आज से लगभग दो हजार वर्ष पूर्व आचार्य श्री कुंदकुंद स्वामी द्वारा रचित नियमसार ग्रन्थ अध्यात्म जगत् का महान ग्रन्थ माना जाता है ।उन गाथाओं पर गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी ने स्याद्वादचंद्रिका नाम से संस्कृत एवं हिंदी टीका लिखी है । जो जम्बूद्वीप – हस्तिनापुर से प्रकाशित हुई है । स्वाध्यायी जन इनका…
श्री देशभूषण जी महाराज-दक्षिण भारत में जन्मे एक प्रसिद्ध आचार्य , जिनसे ज्ञानमती माताजी ने ब्रम्हचर्य व्रत ग्रहण किया था ।