सूक्ष्म ऋजुसूत्र नय -!
सूक्ष्म ऋजुसूत्र नय -Suuksama Rjusutra Naya. A standpoint related to the minute acceptance of something. ऋजुसूत्र नय के दो भेदों में एक भेद । जो नय एक समयवर्ती सूक्ष्म अर्थ प्रर्याय (अवस्थायी पर्याय) को ग्रहण करें ।
सूक्ष्म ऋजुसूत्र नय -Suuksama Rjusutra Naya. A standpoint related to the minute acceptance of something. ऋजुसूत्र नय के दो भेदों में एक भेद । जो नय एक समयवर्ती सूक्ष्म अर्थ प्रर्याय (अवस्थायी पर्याय) को ग्रहण करें ।
सैद्धांतिक देव -Saiddhamntika Deva. Name of a saint of Nandi group, the disciple of Subhchandra –II न्ंदिसंघ देशीयगण नं0 2 की गुर्वावलीनुसार शुभचन्द्र नं0 2 के शिष्य । समय – ई0 1015-1045 ।
सुव्रत -Suvrata. Faultless vow, Name of a king of Kuru dynasty. The son of Lord Munisuvratnath. शोभनव्रत-निरतिचार व्रत, कुरूवंशी एक राजा । धृतिक्षेम का पुत्र व व्रात का पिता , तीर्थकर मुनिसुव्रतनाथ का पुत्र दक्ष का पिता, अन्त में अपने पिता से दीक्षा ले मुक्ति प्राप्त की ।
सुस्वर नामकर्म प्रकृति – Susvara Namakarna Prakriti. A physique making karmic nature causing melodious tone. जिस कर्म के उदय से मधुर आवाज या सुरीला कंठ प्राप्त होता है उसे सुस्वर नामकर्म प्रकृति कहते है।
सूरसेन – Suurasena. Father’s name of Lord Kunthunath. तीर्थकर कुन्थुनाथ के पिता , इनकी रानी श्रीकांता थी ।
सूक्ष्म आलोचना – Suksma Aalochanaa. An infraction of self criticism, hiding big faults (but exposing little faults). आलोचना का एक अतिचार । छोटे-छोटे दोष कहकर भय, मद कपट आदि के कारण बडे दोष छिपाना ।
सुस्थिता – Susthitaa. Name of a female deity of Ruchak mountain. रूचक पर्वत वासिनी दिक्कुमारी देवी ।
सूक्ष्म क्रियाप्रतिपाती – Suuksma Kriyapratipaatii. The third absolute meditational stat achieved at the end of the 13th stage of spiritual development. तीसरा शुक्लध्यान – यह ध्यान तेरहवें गुणस्थान के अंत में होता है। जिन्होंने द्वितीय शुक्लध्यान के द्वारा 4 घातिया कर्मो का क्षय करके केवलज्ञान प्राप्त कर लिया है तब सब प्रकार के मन वचन…
सूक्ष्म – Suksma. Micro particles or organism (invisible). जे इन्द्रियो के गोचर न हो
सूर्यवंश – Suryavamnsa. One of the Branch of Ikshvaku Dynasty initiated from Arkkirti. इक्ष्वाकु वंश की दो शाखाओं में एक शाखा सूर्यवंश की शाखा भरत चक्रवर्ती के पुत्र अर्ककीर्ति से प्रारम्भ हुई क्योकि अर्क नाम सूर्य का है।