महापुराण प्रवचन-०१३
महापुराण प्रवचन महापुराण प्रवचन श्रीमते सकलज्ञान, साम्राज्य पदमीयुषे। धर्मचक्रभृते भत्र्रे, नम: संसारभीमुषे।। भव्यात्माओं! महापुराण ग्रंथ को यदि रत्नाकर भी कहें तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। इसमें भगवान ऋषभदेव के पूर्व भवों की बात चल रही हे। राजा वङ्काजंघ अपनी रानी के साथ ससुराल जा रहे थे रास्ते में एक नदी के किनारे पड़ाव डाला। अगले दिन…