सत्संगति क्यों ?
सत्संगति क्यों ? गुरु—दर्शन, यह बहुत कम लोगों को ही मिल पाते हैं । किसी—किसी का अपना—अपना भाग्य होता है। सत्संगति , गुरु दर्शन यह सब एक ही नाम है। संसार में दो बातें बड़ी दुर्लभ हैं। तुलसी दास जी कहते हैं— ‘‘सन्त समागम , प्रभु भजन तुलसी दुर्लभ दोय।सुत दारा अरु लक्ष्मी, पापी के…