14. अयोगकेवली गुणस्थान
१४. अयोगकेवली गुणस्थान सयोगकेवली योग निरोध कर चौदहवें गुणस्थान में अयोगी-केवली कहलाते हैं। पहले, दूसरे, तीसरे गुणस्थान तक बहिरात्मा, चौथे से बारहवें तक अंतरात्मा एवं तेरहवें, चौदहवें में परमात्मा कहलाते हैं। आयु कर्म के बिना शेष सात कर्मों की गुणश्रेणी निर्जरा का क्रम—सातिशयमिथ्यादृष्टि, सम्यग्दृष्टि, श्रावक, विरत, अनंतानुबंधी के विसंयोजक, दर्शनमोह के क्षपक, कषायों के उपशामक,…