पाण्डुकवन का वर्णन पांडुकवन में चारों ओर मार्ग एवं अट्टालिकाओं से विशाल और अनेक प्रकार की ध्वजापताकाओं से संयुक्त ऐसी अतिरमणीय दिव्य तटवेदी हैं अर्थात् पांडुकवन के तट पर चारों तरफ परकोटे के समान वेष्टित किये हुए वेदी है उसके गोपुरों पर रत्नमय देवभवन हैं। उस वेदी के मध्य में पर्वत की चूलिका को चारों…
जंबूद्वीप की संपूर्ण नदियां कितनी हैं और कहाँ कहाँ हैं? भरतक्षेत्र की गंगा-सिंधु २ + इनकी सहायक नदियां २८०००+हैमवतक्षेत्र की रोहित-रोहितास्या २+ इनकी सहायक नदियां ५६०००+ हरिक्षेत्र की हरित्-हरिकांता २+ इनकी सहायक नदियां १,१२०००+ विदेहक्षेत्र की सीता-सीतोदा २+ इनकी सहायक नदियां १६,८००० (८४०००²२) + विभंगा नदी १२ + इनकी सहायक नदियां ३३,६००० (२८०००²१२) बत्तीस विदेह…
शिखरी पर्वत पर जिनमंदिर व कूट तव्विजउत्तरभागे सिहरीणामेण चरमकुलसेलो। हिमवंतस्स सरिच्छं सयलं चिय वण्णणं तस्स२।।२३५५।। णवरि विसेसो कूडद्दहाण देवाण देविसरियाणं। अण्णाइं णामाइं तिंस्स सिद्धो पढमकूडो।।२३५६।। सिहरी हेरण्णवदो रसदेवीरत्तलच्छिकंचणया। रत्तवदी गंधवदी रेवदमणिकंचणं कूडं।।२३५७।। एक्कारसकूडाणं पुह पुह पणुवीस जोयणा उदओ। तेसुं पढमे कूडे जििंणदभवणं परमरम्मं।।२३५८।। सेसेसुं कुंडेसुं णियणियकूडाण णामसंजुत्ता। वेंतरदेवा मणिमयपासादेसुं विरायंति।।२३५९।। शिखरी पर्वत पर जिनमंदिर व…
रुक्मी पर्वत पर जिनमंदिर व कूट रम्मकभोगखिदीए उत्तरभागम्मि होदि रुग्मिगिरी। महहिमवंतसरिच्छं सयलं चिय वण्णणं तस्स२।।२३४०।। णवरि य ताणं कूडद्दहपुरदेवीण अण्णणामािंण। सिद्धो रुम्मीरम्मकणरकंताबुद्धिरुप्पो त्ति।।२३४१।। हेरण्णवदो मणिकंचणकूडो रुम्मियाण तहा। कूडाण इमा णामा तेसुं जिणमंदिरं पढमकूडे।।२३४२।। सेसेसुं कूडेसुं वेंतरदेवाण होंति णयरीओ। विक्खादा ते देवा णियणियकूडाण णामेिंह।।२३४३।। रुक्मी पर्वत पर जिनमंदिर कूट रम्यक भोगभूमि के उत्तरभाग में रुक्मिपर्वत है।…
रुचकवर द्वीप के जिनमंदिर तेरहमो रुचकवरो दीवो चेट्ठेदि तस्स बहुमज्झे। अत्थि गिरि रुचकवरो कणयमओ चक्कवालेणं१।।१४१।। सव्वस्स तस्स रुंदो चउसीदिसहस्सजोयणपमाणं। तम्मेत्तो उच्छेहो एक्कसहस्सं पि गाढत्तं।।१४२।। मूलोवरिम्मि भागे तडवेदीउववगाइं चेट्ठंति। तग्गिरिणो वणवेदिप्पहुदीहिं अधियरम्माइं।।१४३।। तग्गिरिउवरिमभागे चउदाला होंति दिव्ववूडाणिं। एदाणं विण्णासं भासेमो आणुपुव्वीए।।१४४।। कणयं वंचणवू तवणं सत्थियदिसासुभद्दाणिं। अंजणमूलं अंजणवज्जं वूडाणि अट्ठ पुव्वाए।।१४५।। पंचसयजोयणाइं तुंगा तम्मेत्तमूलविक्खंभा। तद्दलउवरिमरुंदा ते वूडा वेदिवणजुत्ता।।१४६।।…
रम्यक क्षेत्र में नाभिगिरि रम्मकविजओ रम्मो हरिवरिसो व वरवण्णणाजुत्तो। णवरि विसेसो एक्को णाभिणगे अण्णणामािण१।।२३३५।। रम्मकभोगखिदीए बहुमज्झे होदि पउमणामेणं। णाभिगिरी रमणिज्जो णियणामजुदेिह देवेिह।।२३३६।। केसरिदहस्स उत्तरतोरणदारेण णिग्गदा दिव्वा। णरकंता णाम णदी सा गच्छिय उत्तरमुहेणं।।२३३७।। णरकुंतकुंडमज्झे णिवडिय णिस्सरदि उत्तरदिसाए। तत्तो णाभिगििरदं कादूण पदाहिणं पि पुव्वं व।।२३३८।। गंतूणं सा मज्झं रम्मकविजयस्स पच्छिममुहेिह। पविसेदि लवणजलिंह परिवारणदीिह संजुत्ता।।२३३९।। रम्यक क्षेत्र में…
जंबूद्वीप में ३११ पर्वत हैं छक्कुलसेला सव्वे विजयड्ढा होंति तीस चउजुत्ता। सोलस वक्खारगिरी वारणदंताइ चत्तारो१।।२३९४।। ६। ३४। १६। ४। तह अट्ठ दिग्गइंदा णाभिगिरिंदा हवंति चत्तारि। चोत्तीस वसहसेला कंचणसेला सयाण दुवे।।२३९५।। ८। ४। ३४। २००। एक्को य मेरु कूडा पंचसया अट्ठसट्ठिअब्भहिया। सत्त च्चिय महविजया चोत्तीस हवंति कम्मभूमीओ।।२३९६।। १। ५६८। ७। ३४। सत्तरि अब्भहियसयं मेच्छखिदी छच्च भोगभूमीओ।…
जम्बूद्वीप के ७ क्षेत्रों के नाम अथ तेषां मन्दराणामुभयपाश्र्वस्थितक्षेत्राणां नामानि कथयति— दक्खिणदिसासु भरहो हेमवदो हरिविदेहरम्मो य। हइरण्णवदेरावदवस्सा कुलपव्वयंतरिया।।५६४।। दक्षिणदिशासु भरतो हैमवतः हरिविदेहरम्यश्च। हैरण्यवदैरावतवर्षाः कुलपर्वतान्तरिताः।।५६४।। दक्खिण। तेषां मन्दराणां दक्षिणदिशाया आरभ्य भरतः हैमवतः हरिः विदेहः रम्यकः हैरण्यवतः ऐरावत इत्येते वर्षा हिमवदादिकुलपर्वतान्तरिताः।।५६४।। जम्बूद्वीप के ७ क्षेत्रों के नाम उन सुमेरु पर्वतों के दोनों पाश्र्वभागों में स्थित क्षेत्रों के…
छह कुलाचलों का वर्णन अथ तेषां पर्वतानां नामादिकं गाथाद्वयेनाह— हमवं महादिहिमवं णिसहो णीलो य रुम्मि सिहरी य। मूलोवरि समवासा मणिपासा जलणिहिं पुट्ठा।।५६५।। हिमवान् महादिहिमवान् निषधः नीलश्च रुक्मी शिखरी च। मूलोपरि समव्यासा मणिपाश्र्वा जलनिधिं स्पृष्टाः।।५६५।। हिमवं। हिमवान् महाहिमवान् निषधो नीलश्च रुक्मी शिखरी च, एते सर्वे मूलोपरि समानव्यासाः मणिमयपाश्र्वा जलनिधिं स्पृष्टाः।।५६५।। छह कुलाचलों का वर्णन दो गाथाओं…