04. बड़ी जयमाला
बड़ी जयमाला —दोहा— घाति चतुष्टय घातकर, प्रभु तुम हुए कृतार्थ। नव केवल लब्धी रमा, रमणी किया सनाथ।।१।। चाल—हे दीनबन्धु श्रीपति………. प्रभु दर्श मोहनीय को निर्मूल किया है। सम्यक्त्व क्षायिकाख्य को परिपूर्ण किया है।। चारित्रमोह का विनाश आपने किया। क्षायिक चारित्र नाम यथाख्यात को लिया।।२।। संपूर्ण ज्ञानावरण का जब आप क्षय किया। वैवल्य ज्ञान से त्रिलोक…