श्री गौतम गणधर अभिषेक विधि एवं पूजा
श्री गौतम गणधर अभिषेक विधि एवं पूजा 1. श्री गौतम गणधरदेव अभिषेक विधि 2. गणधरवलय यंत्र अभिषेक विधि 3. भगवान श्री महावीर जिन पूजा 4. श्री गौतम गणधर पूजा 5. दिव्यध्वनि पूजा 6. आरती 7. भजन
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श्री गौतम गणधर अभिषेक विधि एवं पूजा 1. श्री गौतम गणधरदेव अभिषेक विधि 2. गणधरवलय यंत्र अभिषेक विधि 3. भगवान श्री महावीर जिन पूजा 4. श्री गौतम गणधर पूजा 5. दिव्यध्वनि पूजा 6. आरती 7. भजन
“…सर्व गणधरदेव विधान…” 1. मंगलाचरण 2. श्री गणधरदेव स्तोत्र (संस्कृत) 3. श्री गणधरदेव स्तोत्र (पद्यानुवाद) 4. चौबीस तीर्थंकर पूजा 5. श्री गणधरदेव पूजा 6. प्रथम वलय मे ८४ अर्घ्य 7. द्वितीय वलय में २२ अर्घ्य 8. तृतीय वलय में ११ अर्घ्य 9. चतुर्थ वलय में जंबूद्वीप ऐरावत क्षेत्र के गणधर देवों का १ अर्घ्य 10….
श्रीगौतमस्वामी प्रणीत प्रतिक्रमण पाठ में परिवर्तन-विचारणीय विषय 1. गणधरवलय मंत्र 2. गणधरवलय मंत्र का पद्यानुवाद 3. मंगलाचरण 4. धर्मतीर्थ की उत्पत्ति 5. महामंत्र—णमोकार मंत्र 6. चत्तारि मंगल पाठ 7. श्री गौतमस्वामी प्रणीत कृतियों का परिचय 8. श्री गौतमस्वामी द्वारा प्रणीत प्रतिक्रमण पाठ के प्रमाण 9. पं. श्री लालाराम जी के चैत्यभक्ति के विषय में उद्गार …
“…वर्तमान पट्टाचार्य श्री अभिनंदनसागर जी महाराज पूजन…” -स्थापना (दोहा)- सदी बीसवीं के प्रथम, शान्तिसागराचार्य। उनके पट पर शोभते, षष्ठम पट्टाचार्य।।१।। अभिनन्दनसागर गुरू, है उनका शुभ नाम। गुरु चरणों मे है मेरा, बारम्बार प्रणाम।।२।। गुरुपूजन के हेतु मैं, करूँ यहाँ आह्वान। स्थापनसन्निधिकरण, में है भाव प्रधान।।३।। ॐ ह्रीं आचार्यश्रीअभिनंदनसागरमुनीन्द्र! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं। ॐ ह्रीं…
“…अकृत्रिम वृक्ष जिनालय विधान…” 1. मंगलाचरण 2. जम्बूवृक्षादि दशवृक्ष जिनालय पूजा 3. सुदर्शनमेरु संबंधी जम्बूवृक्ष शाल्मलिवृक्ष जिनालय पूजा 4. विजयमेरु संबंधी धातकीवृक्ष शाल्मलिवृक्ष जिनालय पूजा 5. अचलमेरु संबंधी धातकीवृक्ष शाल्मलिवृक्ष जिनालय पूजा 6. मंदरमेरु संबंधी पुष्करतरु शाल्मलितरु जिनालय पूजा 7. विद्युन्मालीमेरु संबंधी पुष्करतरु शाल्मलिवृक्ष जिनालय पूजा 8. बड़ी जयमाला 9. प्रशस्ति 10. अकृत्रिम वृक्ष जिनालय…
चौबीसी विधान (लघु)… 1. मंगलाचरण—थोस्सामि स्तवन 2. चौबीस तीर्थंकर पूजा 3. २४ तीर्थंकर वे पंचकल्याणक के १२० अर्घ्य 4. चौबीस यक्षों के अर्घ्य 5. चौबीस यक्षिणी के अर्घ्य 6. जयमाला 7. बड़ी जयमाला 8. प्रशस्ति 9. आरती 10. णमोकार महामंत्र महिमा 11. भजन 12. भजन 13. भजन 14. भजन
“…जिनसहस्रनाम स्तोत्र…” (गणिनी ज्ञानमती कृत-पद्यानुवाद) —शंभु छंद— जिनवर की प्रथम दिव्य देशना, नंतर सुरपति अति भक्ती से। निज विकसित नेत्र हजार बना, प्रभु को अवलोके विक्रिय से।। प्रभु एक हजार आठ लक्षण—धारी सब भाषा के स्वामी। शुभ एक हजार आठ नामों, से स्तुति करता वह शिवगामी।।१।। —दोहा— एक हजार सु आठ ये, श्रीजिननाम महान्। उनका…
कृतिकर्म विधि…. श्रीमते वर्धमानाय, नमो नमितविद्विषे। यज्ज्ञानान्तर्गतं भूत्वा, त्रैलोक्यं गोष्पदायते।।१।। जिनेन्द्र भगवान के दर्शन करते समय तथा सामायिक आदि करते समय जो हाथ जोड़ना, पंचांग नमस्कार करना आदि क्रियाएँ की जाती हैं, उसका नाम ही कृतिकर्म है। इस कृतिकर्म को विधिवत् करने के लिए यहाँ शास्त्रीय प्रमाण प्रस्तुत किये जा रहे हैं- जिनेन्द्र भगवान के…
“…चम्पापुर तीर्थ का परिचय…” चम्पापुर भारत की प्राचीन सांस्कृतिक नगरियों में से है। भगवान ऋषभदेव की आज्ञा से इन्द्र ने जिन ५२ जनपदों की रचना की थी, उनमें एक अंग जनपद भी था जिसकी राजधानी चम्पानगरी मानी जाती है। बारहवें तीर्थंकर भगवान वासुपूज्य की जन्मभूमि होने का तो इसे सौभाग्य प्राप्त है ही, किन्तु यहाँ…
सप्त स्तोत्र…….. 1. समवसरण का वर्णन 2. समवसरण वंदना 3. समवसरण मानस्तंभ स्तोत्र 4. समवसरण चैत्यप्रासाद भूमि स्तोत्र 5. समवसरण चैत्यवृक्ष स्तोत्र 6. समवसरण सिद्धार्थवृक्ष स्तोत्र 7. समवसरण स्तूप स्तोत्र 8. तीर्थंकर धर्मचक्र स्तोत्र 9. समवसरण गंधकुटी स्तोत्र 10. समवसरण विंशतिका