एम.ए.(पूर्वार्ध) इन जैनोलॉजी (तृतीय पत्र)
एम.ए.(पूर्वार्ध) इन जैनोलॉजी (तृतीय पत्र) कर्म का स्वरूप एवं भेद-प्रभेद 01.1 प्राकृतिक कर्म व्यवस्था 01.2 अटल सिद्धान्त है कर्म का 01.3 कर्मबंध के कारण और प्रकार 01.4 कर्म के भेद-प्रभेद संसार भ्रमण के कारण-अष्टकर्म 02.1 आत्मा की प्रभा को धूमिल करने वाले ज्ञानावरण- दर्शनावरण 02.2 सुख-दुःख प्रदाता वेदनीय एवं कर्मों का राजा मोहनीय 02.3 चतुर्गति...